यह मेरी द्वितीय पुस्तक "मानस-मंजरी" का प्रथम पृष्ठ "समर्पण" है. मेरी यह रचना मेरी पूजनीया माताजी स्वर्गीया श्रीमती अनार देवी के श्री चरणों में समर्पित है.
माँ .....
माँ .... माँ .... माँ ...
जो कुछ हूँ सब तू ही तू है.
कर्म अकर्म समर्पित तुझको,
इन में भी बस तू ही तू है.
शब्द तेरे भाव तेरे,
भावना के सिन्धु में,
उठते हुए सब ज्वार तेरे,
माँ! सौंपता सब तुझे तेरे.
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