समय ने तुमको पुकारा
समय ने तुमको पुकारा,
समय ने तुमको पुकारा,
तोडिये शैथिल्य कारा।
छोड़ तन्द्रा औ उदासी,
पग बढ़े पथ में तुम्हारा।।
घटायें घिर रही काली,
दूर है अब भी किनारा।
साहसी! पतवार थामो,
संकल्प का ले कर सहारा।।
आंधियां चलने लगी हैं,
बिजलियों ने पथ उघारा।
पगों में भर लो प्रभंजन,
नहीं कोई और चारा।।
विजय का विश्वास ले कर,
रचो, नव इतिहास प्यारा।
निष्कर्ष है युग सत्य ये ही,
सृजन से विध्वंस हारा।।
जले जब-जब दीप घर-घर,
तम सघन तब-तब विदारा।
आलोक के सम्मुख टिका कब,
है अमा का तम बेचारा।।
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